Thursday 22 August 2013

ये बेसऊर


जयप्रकाश त्रिपाठी

समय, शब्द, शिशु, प्रकृति, ये सब-के-सब साम्यवादी हैं
लेकिन मनुष्य?
जो नहीं रहे, हो चुके हैं वे भी साम्यवादी
लेकिन जो हैं, ये सभी?
राज्य, इतिहास, शिक्षा, सरहद, तल और शिखर सब साम्यवादी
लेकिन शासक, लेखक, शिक्षक.....?
मेहनत की मांगो
तो गीता पढ़ने के लिए कहते हैं
दिखाते हैं मंदिर-मस्जिद-गिरिजा-गुरुद्वारों की राह!
अब तो बच्चे भी भूनने लगे हैं वे,
जनता सरहदों के हवाले है और देश
उनके। वे कौन हैं?
इतना बेसऊर आदिमानव भी
नहीं रहा होगा।
कहां से सीखा है इन सबों ने
ये सब!
किसके लिए?