Tuesday 8 October 2013

किताबों की दुनिया में ब्राजील


ब्राजील का नाम आते ही कार्निवल की याद आती है, पर इन दिनों जर्मनी में ब्राजील की चर्चा हो रही है किताबों के लिए. फ्रैंकफर्ट बुक फेयर में ब्राजील इस बार अतिथि देश है.
 9 से 13 अक्टूबर तक चलने वाले फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में इस बार ब्राजील से 70 लेखक और 164 प्रकाशक हिस्सा ले रहे हैं. लातिन अमेरिका का सबसे बड़ा देश ब्राजील दुनिया को दिखा देना चाहता है कि वह केवल संगीत और मौज मस्ती में ही अव्वल नहीं है, बल्कि व
हां का साहित्य भी अहम है. ब्राजील बुक चेंबर (सीबीएल) की अध्यक्ष कारीन पानसा ने डॉयचे वेले से बातचीत में कहा, "हम दिखाना चाहते हैं कि हम अंतरराष्ट्रीय बाजार की समझ रखते हैं और अपनी किताबें बेचना जानते हैं." उनका कहना है कि जर्मन बाजार पर पूरी दुनिया की नजर रहती है, इसलिए यहां कई अवसर हैं.
किताबों की दुनिया में अब तक ब्राजील की पहचान खरीदार के तौर पर बनी रही है, पर अब देश निर्यात की राह पर निकलना चाहता है. ब्राजील के संस्कृति मंत्रालय ने 2020 तक साढ़े तीन करोड़ डॉलर का निवेश करने की योजना बनाई है, ताकि दुनिया के सामने अपने लेखकों की पहचान पक्की कर सके. यह पैसा एक्सचेंज प्रोग्राम के काम में लगाया जाएगा. युवा लेखकों और अनुवादकों को स्कॉलरशिप भी दी जाएगी.
 ब्राजील के पैविलियन के बाहर ग्रैफिटी
इस साल फ्रैंकफर्ट में ही सरकार साठ लाख यूरो खर्च रही है. लोगों का ध्यान खींचने के लिए यहां कई तरह के सांस्कृतिक और रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं. ब्राजील का पैविलियन 2,500 वर्ग मीटर में फैला होगा, जो पिछले साल के अतिथि पैविलियन का नौ गुना है.
हालांकि यह ब्राजील के लिए पहला मौका नहीं है. इस से पहले 1994 में भी वह फ्रैंकफर्ट बुक फेयर में अतिथि देश के तौर पर शिरकत कर चुका है. उस समय देश की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोई खास पहचान नहीं थी. तब ब्राजील अपने मशहूर लेखकों जॉर्जे अमादो, जो उबाल्दो रिबेरो और मशादो दे असिस के साथ यहां पहुंचा था. करीब बीस साल में ब्राजील काफी तरक्की कर चुका है. इस बार मेले में हिस्सा ले रहे लेखकों की संख्या इस बात का प्रमाण देती है.
फ्रैंकफर्ट में ब्राजील पैविलियन की व्यवस्था संभालने वाले अंटोनियो मार्टिनेली का कहना है, "ब्राजील इस बार अपनी मॉडर्न और ग्लोबल छवि दिखाना चाहता है. हमने बहुत सोच समझ कर खुद को परंपराओं और धारणाओं से दूर रखा है."
मेले में इस बार बीस से ज्यादा लेखक अपनी किताबों के अंश पढ़ कर सुनाएंगे. इस साल के अंत तक 92 लेखक जर्मनी में घूम कर ब्राजील के साहित्य का प्रचार करेंगे और अपनी नई किताबों को पेश करेंगे.
कारीना पानसा को इस साल से बहुत उम्मीदें हैं. पिछले मेले को याद करती हुई वह कहती हैं, "1994 में सरकार ने सबसे बड़ी गलती यह की थी कि अनुवादों की मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया था. किताबों के कोई अनुवाद प्रकाशित ही नहीं हुए थे." उनका मानना है कि किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी जगह बनाने के लिए यह बेहद जरूरी है.
ब्राजील अपनी गलतियों से सीख ले रहा है. पिछले दो साल में अनुवाद में जितना निवेश किया गया है उतना उस से पहले के दो दशकों में भी नहीं देखा गया था. जर्मन बाजार में इस से पहले कभी ब्राजील की इतनी किताबें नहीं देखी गईं