Tuesday 10 December 2013

चच्चू की चुन्नी

अब का तुक्का-पुक्का फाड़ो
पढ़ो पहाड़ा भाईजी।
चुनाव चुक्का-मुक्का, लिक्खो
नया पहाड़ा भाईजी।

दिल्ली दांत निपोरे टुकटुक
जो जीते, सबके जी धुकधुक
सुकपुक-सुकपुक पारा डोले
फूंके डाढ़ा भाईजी।

विदुर बिदोरे होंठ, कान से
खोंट खंगालें
इधर जाल, फिर उधर जाल
टप्पे-टप्प डालें
जय हो दिन्नानाथ
हुई ताधिन्ना धिन्ना, बिना बिमारी
छानैं काढ़ा भाईजी।

झनझन्ना सइकिल, हत्थी हत्थे से बाहर
छकछक्का पंजा पर अम्मा की डौंड़ाहर
फुलवा फुसरावै आगे तौ
चिल्ला जाड़ा भाईजी।

ढोड़वा के घर में ढिंढोड़

कोई गद्दी गया छोड़ है,
भीतर-भीतर लगी होड़ है,
जोड़-तोड़ भइ जोड़-तोड़ है।

चित्तू चित्त पड़े पयताने,
हांफ रहे बेवजह फलाने,
दाद-खाज में नया कोढ़ है,
जोड़-तोड़ भइ जोड़-तोड़ है।

कैसे गद्दी पर चढ़ जाऊं
पाऊं, फिर जीभर के खाऊं
बस इतना भर का निचोड़ है,
जोड़-तोड़ भइ जोड़-तोड़ है।

दन्नूजी चढ़ गए अटारी,
सन्नूजी गा रहे लचारी,
मन्नू चाहे तोड़फोड़ है,
जोड़-तोड़ भइ जोड़-तोड़ है।

खुत्थड़ को थुत्थड़ थुथकारे,
बात-बात पर ताने मारे,
आने वाला नया मोड़ है,
जोड़-तोड़ भइ जोड़-तोड़ है।

झाड़ू ने झड़झड़ा दिया है,
ऐसा पिल्लर खड़ा किया है
आगे मकड़ी का जाला है,
सन 14 आने वाला है,
ढोड़वा के घर में ढिंढोड़ है,
जोड़-तोड़ भइ जोड़-तोड़ है।