Sunday 5 January 2014

नकली टीटी आम आदमी पार्टी का स्वयंभू नेता....


'जिंदगी इम्तहान लेती है', कभी अक्सर गूंजा करता था ये फिल्मी गीत।
आज सुबह सुबह का ताजा वाकया सियासत के बारे में वही सुर-ताल सुना गया।
मेरे होश फाख्ता।
मित्र ने बताया कि अपने शहर में कल 'उन्होंने' भी अपने घर में 'आप' का दफ्तर खोल लिया। 'वो' अभी कुछ महीने पहले ही जेल से छूट कर आए हैं।
मैंने पूछा, किस जुर्म में?
मित्र ने बताया, ट्रेनों में नकली टीटी बन कर यात्रियों से किराया वसूलते थे। किसी रेलकर्मी पर किराये के लिए रौब गालिब करते समय पहुंचा दिए गए नैनी जेल।
अब ये सजायाफ्ता नकली टीटी आम आदमी पार्टी का स्वयंभू नेता तो बन बैठा है। कौन जाने कल को अपने शहर का सांसद भी बन बैठे। तब अपनी जनता के सिर मुड़ाते ओले पड़ने से कौन रोक लेगा।

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