Thursday 6 March 2014

पूर्णिमा वर्मन


अमन चैन के भरम पल रहे - रामभरोसे!
कैसे-कैसे शहर जल रहे - राम भरोसे!
जैसा चाहा बोया-काटा,  दुनिया को मर्ज़ी से बाँटा
उसकी थाली अपना काँटा, इसको डाँटा उसको चाँटा
रामनाम की ओढ़ चदरिया,
कैसे आदमज़ात छल रहे- राम भरोसे!
दया धर्म नीलाम हो रहे, नफ़रत के ऐलान बो रहे
आँसू-आँसू गाल रो रहे, बारूदों के ढेर ढो रहे
जप कर माला विश्वशांति की,
फिर भी जग के काम चल रहे- राम भरोसे!

[ पूर्णिमा वर्मन का जन्म 27 जून, 1955 को पीलीभीत , उत्तर प्रदेश में हुआ था। वह जाल-पत्रिका अभिव्यक्ति (www.abhivyakti-hindi.org  ) और अनुभूति (www.anubhuti-hindi.org) की संपादक हैं। पत्रकार के रूप में अपनी रचनात्मक जीवन यात्रा प्रारंभ करने वाली पूर्णिमा वर्मन का नाम वेब पर हिंदी की स्थापना करने वालों में अग्रणी है। उन्होंने प्रवासी तथा विदेशी हिंदी लेखकों को प्रकाशित करने तथा अभिव्यक्ति में उन्हें एक साझा मंच प्रदान करने का महत्वपूर्ण काम किया है। माइक्रोसॉफ़्ट का यूनिकोडित हिंदी फॉण्ट आने से बहुत पहले हर्ष कुमार द्वारा निर्मित सुशा फॉण्ट द्वारा उनकी जाल पत्रिकाएँ अभिव्यक्ति तथा अनुभूति अंतर्जाल पर प्रतिष्ठित होकर लोकप्रियता प्राप्त कर चुकी थीं। वेब पर हिंदी को लोकप्रिय बनाने के अपने प्रयत्नों के लिए उन्हें 2006 में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, साहित्य अकादमी तथा अक्षरम के संयुक्त अलंकरण अक्षरम प्रवासी मीडिया सम्मान, २००८ में रायपुर छत्तीसगढ़ की संस्था सृजन सम्मान द्वारा हिंदी गौरव सम्मान, दिल्ली की संस्था जयजयवंती द्वारा जयजयवंती सम्मान तथा केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के पद्मभूषण डॉ॰ मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से विभूषित किया जा चुका है। उनका एक कविता संग्रह "वक्त के साथ" नाम से प्रकाशित हुआ है। संप्रति शारजाह, संयुक्त अरब इमारात में निवास करने वाली पूर्णिमा वर्मन हिंदी के अंतर्राष्ट्रीय विकास के अनेक कार्यों से जुड़ी हुई हैं।
शिक्षा : संस्कृत साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि, स्वातंत्र्योत्तर संस्कृत साहित्य पर शोध, पत्रकारिता और वेब डिज़ायनिंग में डिप्लोमा।
कार्यक्षेत्र : लेखन एवं वेब प्रकाशन। खाली समय में संगीत, नाटक और कलाकर्म। पिछले बीस-पचीस सालों में लेखन, संपादन, स्वतंत्र पत्रकारिता, अध्यापन, कला, ग्राफ़िक डिज़ायनिंग और जाल प्रकाशन के अनेक रास्तों से परिचय।
संप्रति- संयुक्त अरब इमारात के शारजाह नगर में साहित्यिक जाल पत्रिकाओं 'अभिव्यक्ति' और 'अनुभूति' के संपादन और कलाकर्म में व्यस्त।
प्रकाशित कृतियाँ- दो कविता संग्रह ''पूर्वा'' तथा ''वक्त के साथ'' नाम से प्रकाशित।
अभिव्यक्ति हिंदी में प्रकाशित होने वाली जाल-पत्रिका है। इसका पहला अंक 15 अगस्त 2000 को प्रकाशित हुआ। उस समय यह मासिक पत्रिका थी। मई 2002 से यह माह में चार बार पहली, 9वीं, 16वीं और 24वीं तारीख़ को प्रकाशित होती है। 1 जनवरी 2008 से यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है। इस पत्रिका को www.abhivyakti-hindi.org पर देखा जा सकता है| पत्रिका में कहानी, उपन्यास, संस्मरण, बालजगत, घर परिवार, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चित्रकला, प्रकृति, पर्यटन, लेखकों के परिचय, रसोई आदि 30 से अधिक विषयों को शामिल किया गया है। पुराने अंकों को पुरालेखों में देखा जा सकता है। अनुभूति इसकी सहयोगी पत्रिका है जो कविता की विभिन्न विधाओं को प्रकाशित करती है। इन दोनों पत्रिकाओं के लिए पूर्णिमा वर्मन को भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, साहित्य अकादमी और अक्षरम की ओर से 2006 के प्रवासी मीडिया सम्मान से अलंकृत किया गया है।]
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