Friday 12 September 2014

इतिहास / जयप्रकाश त्रिपाठी

जब तक हमारे पास बारिश और सुबहों का,
असीमित प्रकृति के विश्व-विस्तार का,
सृजन और सभ्यताओं का / जीवन की वास्तविकताओं का
भावना और विवेक का / शब्दों और विचारों का,
भूख और गुस्से का इतिहास है,
तब तक तुम हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते !

No comments:

Post a Comment