Saturday 20 September 2014

बेर्टोल्‍ट ब्रेष्‍ट

सभी देशों की मेहनतकश जनता के हित में, लेखकों को एक लड़ाकू यथार्थवाद को अपनाने के लिए ललकारा जाना चाहिए। केवल एक समझौताविहीन यथार्थवाद, जो सच्‍चाई पर, यानी शोषण-उत्‍पीड़न पर पर्दा डालने के सभी प्रयासों से जूझेगा, केवल वही शोषण और उत्‍पीड़न की कड़ी निन्‍दा कर उनकी कलई खोल सकता है। (लखनऊ के राष्ट्रीय पुस्तक मेले में 'मीडिया हूं मैं' भी उपलब्ध)


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