Monday 29 September 2014

सीवर का मोक्षद्वार

बाहर अच्छी-अच्छी बातें बड़ी अच्छी लगती हैं। अंदर बड़ा दुख देती हैं। भाषण सुनकर मन खुश हो जाता है कि सफाई कार्य बड़ा पावन है, मोक्ष का द्वार है। जिसको-जिसको मोक्ष चाहिए, पहले खुद सीवर में उतर कर दिखाये तो सही। गांधी की हरिजन-वचनावली बांच कर जाने कितने तर गये, आज तक तो किसी नेता को सीवर में उतरते नहीं देखा। देखते हैं, दो अक्तूबर को मोक्ष के आकांक्षी कौन-कौन से महापुरुष सीवर में उतर कर देश की जनता के सामने आदर्श प्रस्तुत करते हैं। फोटो खिंचाने के लिए तो कैमरे के सामने चाहे जो पलभर 'झाड़ू पकड़ नौटंकी' दिखा  ले। किसे पता कि बेचारे झाड़ू चुनाव चिह्न वालो के दिल पर क्या बीत रही होगी......

No comments:

Post a Comment