Saturday 20 September 2014

पाब्‍लो नेरूदा

जो किताबें आपको सोचने के लिए जितना ही ज़्यादा मजबूर करती हैं, वे आपके लिए उतनी ही ज़्यादा मददगार साबित होती हैं । सीखने का सबसे मुश्किल तरीका होता है, आरामतलबी से पढ़ना; परन्तु किसी महान चिन्तक की एक महान किताब विचारों के एक ऐसे जहाज की तरह होती है, जो सच्चाई और ख़ूबसूरती से ठसाठस लदा होता है। (लखनऊ के राष्ट्रीय पुस्तक मेले में 'मीडिया हूं मैं' भी उपलब्ध)


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