Thursday 4 December 2014

नरेश सक्सेना

कोई-कोई वृक्ष बिल्कुल मनुष्यों की तरह होते हैं
वे न फल देते हैं, न छाया, एक हरे सम्मोहन से खींचते हैं
और पहुँच में आते ही दबोच कर सारा ख़ून चूस लेते हैं
उस वक़्त बिल्कुल मनुष्यों की तरह हो जाता है सारा जंगल



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