Wednesday 20 August 2014

मीडिया हूं मैं / जयप्रकाश त्रिपाठी

मीडिया में अपना भविष्य देख रहे जर्नलिज्म के छात्रों के लिए अपरिहार्य-सी मेरी सद्यःप्रकाशित पुस्तक 'मीडिया हूं मैं' 'पत्रकारिता का श्वेतपत्र' शीर्षक से इस आत्मकथ्य के साथ प्रारंभ होती है -  मुझे पत्रकारिता, प्रोपेगंडा, चुप्पी और उस चुप्पी को तोड़ने के बारे में बात करनी चाहिए : जॉन पिल्जर
'' चौथा स्तंभ । मीडिया हूं मैं । सदियों के आर-पार । संजय ने देखी थी महाभारत । सुना था धृतराष्ट्र ने । सुनना होगा उन्हें भी, जो कौरव हैं मेरे समय के । पांडु मेरा पक्ष है । प्रत्यक्षदर्शी हूं मैं सूचना-समग्र का, ... 'चौथा खंभा' कहा जाता है मुझे आज । आखेटक हांफ रहे हैं, हंस रहे हैं मुझ पर, 'चौथा धंधा' हो गया हूं मैं।' उजले दांत की हंसी नहीं हूं मैं अपने समय के आरपार । पढ़ना होगा मुझे बार-बार , अपनी कलम, अपने सपनों के साथ, मेरे साथ । श्रमजीवी पत्रकार हैं, सोशल मीडिया, जन-मीडिया, ग्रामीण पत्रकारिता आप का पक्ष है, गांव, खेत-खलिहान के हैं, अभिव्यक्ति की आजादी के पक्षधर साहित्यकार हैं अथवा महिला पत्रकार; तो पढ़ लीजिए, पहचान लीजिए, ...मुझ में गूंज रहे हैं शहीद भगत सिंह, गणेश शंकर विद्यार्थी, माखनलाल चतुर्वेदी, बाबूराव विष्णु पराड़कर, डॉ. भीमराव अंबेडकर, मौलाना अबुल कलाम आजाद के स्वर ।''
विश्व-मीडिया की दुर्लभ सूचनाओं एवं आद्योपांत सुपठनीयता से परिपूर्ण अपने कुल 608 पृष्ठों, तेरह अध्यायों में विभाजित इस पुस्तक का मुखपृष्ठ रघुवीर सहाय की इन पंक्तियों से उद्धृत होता है- 'कुछ तो होगा, कुछ तो होगा, अगर मैं बोलूंगा, न टूटे, न टूटे तिलिस्म सत्ता का,  मेरे अंदर का एक कायर टूटेगा ।' मीडिया का इतिहास, न्यू मीडिया, मीडिया का अर्थशास्त्र, मीडिया-राज्य-कानून और समाज, मीडिया में गांव और स्री, मीडिया में भाषा-साहित्य और मनोरंजन आदि विषय-केंद्रित विविध पक्षों को सविस्तार रेखांकित करने के साथ ही, पुस्तक में सुपरिचित पत्रकार ओम थानवी, साहित्यकार अशोक वाजपेयी, प्रसिद्ध टिप्पणीकार आनंदस्वरूप वर्मा आदि बारह मीडिया चिंतकों के बहुचर्चित लेख और एक महिला पत्रकार का त्रासद सफरनामा संकलनीय है । पुस्तक के ऐतिहासिक प्रेरणास्रोत हैं - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, महात्मा गांधी, माधवराव सप्रे, रामकृष्ण रघुनाथ खाडिलकर, इंद्रविद्या वाचस्पति, बनारसी दास चतुर्वेदी, बारींद्रनाथ घोष, लोकमान्य तिलक, सखाराम गणेश देउस्कर, मदनमोहन मालवीय, रामरख सिंह सहगल, दुलारे लाल भार्गव, पं.लक्ष्मण नारायण गर्दे आदि। मीडिया और स्त्री समस्या पर सीमोन द बोउवार, हेमंतकुमारी चौधरी, रामेश्वरी नेहरू, हुम्मा देवी, गुलाब देवी चतुर्वेदी, उषा प्रियंवदा आदि, मीडिया और मुसलमान विषय पर एडवर्ड सईद,  इकबाल अहमद, मौलाना मोहम्मद अली जौहर, अबुल कलाम आज़ाद, डॉ.असगर अली इंजीनियर, डॉ. खुर्शीद अनवर, अख्तर हुसैन आदि पलाश विश्वास आदि के विचार रेखांकित हैं। पश्चिमी विचारकों, मीडिया चिंतकों और उद्यमियों में मुख्यतः जोजेफ पुलित्ज़र, नोम चोमस्की, सार्त्र, एडवर्ड हरमन, बौद्रिलार्द, हर्बर्ट शिलर, लिओ बोगर्ट, जान बर्ट, सीजी मूलर, विखेम स्टीड, जेम्स मैकडोनल्ड, लिप मैन, जॉन पिल्जर, मैकलुहान, चीफ जुलियन असान्जे आदि को उद्धृत किया गया हैं। (अमेजॉन, ई-बे, ऑलक्स आदि पर पुस्तक ऑनलाइन भी उपलब्ध है।)

जयप्रकाश त्रिपाठी

'मीडिया हूं मैं' : पृष्ठ- 612, मूल्य- 550 रुपये / संपर्क:120/41,LajpatNagar, Kanpur (UP)-208005/E-mail : jan.media.manch@gmail.com, Phone : 08009831375