Sunday 7 September 2014

शैलप्रिया स्मृति न्यास की ओर से द्वितीय शैलप्रिया स्मृति सम्मान सुख्यात लेखिका नीलेश रघुवंशी को देने की घोषणा की गई है। नीलेश रघुवंशी को यह सम्मान 14 दिसंबर 2014 को रांची में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदान किया जाएगा। नब्बे के दशक में अपनी कविताओं से हिंदी के युवा लेखन में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाली कवयित्री नीलेश रघुवंशी की रचना यात्रा पिछले दो दशकों में काफी विपुल और बहुमुखी रही है।


पुजारी ने दी पत्रकार की सुपारी

हाल ही में फिल्म हैप्पी न्यू ईयर की स्टार कास्ट में से कई लोगों को धमकी भरे फोन और शाहरुख के करीबी प्रोडयूसर और ईवेंट मैनेजर करीम मोरानी के घर पर फायरिंग के बाद से अंडरवर्ल्ड का गैगस्टर रवि पुजारी फिर से चर्चा में है। लेकिन इस बार मुंबई पुलिस लगता है उसको छोड़ने के मूड में नहीं है। तेजी से कारवाई करते हुए मुंबई पुलिस ने कल रवि पुजारी गैंग के तीन लोगो को हिरासत में लिया था, जिनके पास से काफी कैश और हथियार भी बरामद किये गए थे। अब ताज़ा खुलासे में पता चला है की इन लोगों को रवि पुजारी ने एक इंग्लिश अख़बार के जर्नलिस्ट को मारने के लिए सुपारी दी थी। उसकी वजह भी पता चली कि उस जर्नलिस्ट ने अपनी रिपोर्ट में रवि पुजारी को चिंदी चोर कहा था। जेडे के बाद अंडरवर्ल्ड के निशाने पर ये दूसरा जर्नलिस्ट है, हालांकि पुलिस ने सुरक्षा वजहों से उस जर्नलिस्ट के नाम का खुलासा नहीं किया है। क्राइम ब्रांच सूत्रों का दावा है कि इस मैप के जरिए इस अंग्रेजी पत्रकार के मरीन लाइंस स्थित दफ्तर और ठाणे जिले में स्थित उसके घर का अड्रेस लोकेट किया जा रहा था। रवि पुजारी ने जिस अंग्रेजी पत्रकार की सुपारी दी थी , मुंबई मीडिया में उसे बहुत इज्जत से देखा जाता है।
फिल्म हैप्पी न्यू ईयर के सितारों शाहरुख़ खान, बोमन ईरानी और शाहरुख के करीबी मोरानी ब्रदर्स के बाद अब रवि पुजारी के निशाने पर एक अंग्रेजी अख़बार का जर्नलिस्ट है, जिसके लिए रवि पुजारी ने अपने तीन गुर्गो को करीब 1.25 लाख की सुपारी दी थी। रवि पुजारी इस जर्नलिस्ट से इसलिए बहुत ज़्यादा खफा है क्योंकि अपनी एक रिपोर्ट में जर्नलिस्ट ने पुजारी को ऐसा चिंदी चोर बताया था, जो पहले तो पैसा उगाही के लिए बड़े बड़े लोगो को कॉल करता है और फिर महज कुछ हज़ार रुपयो में मामला रफा दफा कर देता है। पुजारी हाल ही में तब चर्चा में आया जब उसने नेस वाडिया के घरवालों को प्रीति जिंटा के मामले में धमकी दी थी। दिलचस्प बात ये भी है कि गिरफ्तार किये गए आरोपियों में से एक शख्स कई बॉलीवुड हस्तियों का ड्राइवर भी रह चुका है।
मुंबई पुलिस ने शुक्रवार को मुंबई के मदनचंद गोविन्द सोनकर को गिरफ्तार किया था, जिसके टिप देने पर ही पुलिस ने शनिवार को आशुतोष वर्मा और रामबहादुर चव्हाण को भी अपनी गिरफ्त में लिया। पुलिस ने इनके पास से एक देसी पिस्तौल, पांच कारतूस और 11 सिम कार्ड बरामद किये हैं। पुलिस के मुताबिक इनमे से रामबहादुर चव्हाण कई बॉलीवुड के कलाकारों के यहाँ ड्राइवर का काम कर चुका है और वो ही रवि पुजारी को बॉलीवुड सेलिब्रिटीज के बारे में टिप दिया करता था। इधर पता चला है कि चुपचाप से उस जर्नलिस्ट की सिक्योरिटी भी बढ़ा दी गई है। पुलिस को अभी तक रवि पुजारी का कोई पुख्ता सुराग हाथ नहीं लगा है, वैसे भी देश से बाहर होने की वजह से ऐसे गैंगस्टर देसी गुर्गों को ही सुपारी देते आए हैं। जेडे की हत्या की सुपारी देने वालों तक पुलिस आज तक नहीं पहुंच पाई। ऐसे में एक गैंग के पकड़े जाने पर पुजारी मुंबई के ही किसी दूसरे गैंग को उस जर्नलिस्ट की सुपारी दे सकता है।

जम्मू-कश्मीर में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. लगभग 150 और लोगों की मौत हो चुकी है.


क्या हड़प्पा की लिपियाँ पढ़ी जा सकती हैं?

हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई में मिले बर्तन समेत अन्य वस्तुओं पर सिंधु घाटी सभ्यता की अंकित चित्रलिपियों को पढ़ने की कोशिशें लगातार जारी हैं. क्लिक करें पुरातत्वविदों और भाषा के जानकारों की कोशिशों के बीच नागपुर के एक भाषाविद् का दावा है कि सैंधवी लिपि को गोंडी भाषा में प्रामाणिकता से पढ़ा जा सकता है. यदि ये लिपियाँ पढ़ी जा सकेंगी तो भारतीय इतिहास का एक बड़ा हिस्सा सामने होगा.गोंडी भाषा के विद्वान आचार्य तिरु मोतीरावण कंगाली का दावा है कि हड़प्पा और क्लिक करें मोहनजोदड़ो की सैंधवी लिपियाँ गोंडी में ज़्यादा सुगमता से पढ़ी जा सकती हैं. क्लिक करें सैंधवी लिपि को पढ़ने की कोशिश करने वाले डॉक्टर जॉन मार्शल सहित आधे दर्जन से अधिक भाषा और पुरातत्वविदों के हवाले से मोतीरावण कंगाली कहते हैं, "सिन्धु घाटी सभ्यता की भाषा द्रविड़ पूर्व (प्रोटो द्रविड़ीयन) भाषा थी."
(बीबीसी हिंदी से साभार  संजीव चंदन की रिपोर्ट)

पृथ्वी पर लेटना / आत्मरंजन

पृथ्वी पर लेटना, पृथ्वी को भेंटना भी है
 ठीक वैसे जैसे थकी हुई हो देह पीड़ा से पस्त हो रीढ़ की हड्डी
सुस्ताने की राहत में गैंती-बेलचे के आसपास ही कहीं
उन्हीं की तरह निढाल हो लेट जाना, धरती पर पीठ के बल
 पूरी मौज में डूबना हो तो पृथ्वी का ही कोई हिस्सा
बना लेना तकिया जैसे पत्थर मुंदी आंखों पर और माथे पर
तीखी धूप के खिलाफ़ धर लेना बांहें समेट लेना सारी चेतना
सिकुड़ी टांग के खड़े त्रिभुज पर ठाठ से टिकी दूसरी टांग
आदिम अनाम लय में हिलता धूल धूसरित पैर
नहीं समझ सकता कोई योगाचार्य राहत सुकून के इस आसन को
 मत छेड़ो उसे ऐसे में धरती के लाड़ले बेटे का
मां से सीधा संवाद है यह मां पृथ्वी दुलरा-बतिया रही है
सेंकती सहलाती उसकी पिराती पीठ बिछावन दुभाषिया है यहां
मत बात करो आलीशान गद्दों वाली चारपाई की
देह और धरती के बीच अड़ी रहती है वह दूरियां ताने
वंचित होता/चूक जाता स्नेहिल स्पर्श ख़ालिस दुलार
कि तमाम ख़ालिस चीज़ों के बीच सुविधा एक बाधा है
 पृथ्वी पर लेटना पृथ्वी को भेंटना भी है
खास कर इस तरह ज़िन्दा देह के साथ
ज़िन्दा पृथ्वी पर लेटना ।

अंधेरे में / मुक्तिबोध

दुर्लभ चित्र में अपनी पत्नी शांता के साथ गजानन माधव मुक्तिबोध
(बुधवार 11 सितंबर 2014 को है मुक्तिबोध की पचासवीं पुण्यतिथि)।
प्रस्तुत है मुक्तिबोध की कविता 'अँधेरे में' का एक अंश..

सब चुप, साहित्यिक चुप और कविजन निर्वाक्,
चिन्तक, शिल्पकार, नर्तक चुप हैं
उनके ख़याल से यह सब गप है, मात्र किंवदन्ती।
रक्तपायी वर्ग से नाभिनाल-बद्ध
ये सब लोग नपुंसक भोग-शिरा-जालों में उलझे।
भव्याकार भवनों के विवरों में छिप गये
समाचारपत्रों के पतियों के मुख स्थल।
गढ़े जाते संवाद, गढ़ी जाती समीक्षा,
गढ़ी जाती टिप्पणी जन-मन-उर-शूर।
बौद्धिक वर्ग है क्रीतदास,
किराये के विचारों का उद्भास।
बड़े-बड़े चेहरों पर स्याहियाँ पुत गयीं।
नपुंसक श्रद्धा
सड़क के नीचे की गटर में छिप गयी ।

लोकतंत्र में ईश्वर / राकेश रोहित

एक आदमी
चूहे की तरह दौड़ता था
अन्न का एक दाना मुँह में भर लेने को विकल।
एक आदमी
केकड़े की तरह खींच रहा था
अपने जैसे दूसरे की टाँग।
एक आदमी
मेंढक की तरह उछल रहा था
कुएँ को पूरी दुनिया समझते हुए।
एक आदमी
शुतुरमुर्ग की तरह सर झुकाए
आँधी को गुज़रने दे रहा था।
एक आदमी
लोमड़ी की तरह न्योत रहा था
सारस को थाली में खाने के लिए।
एक आदमी
बंदर की तरह न्याय कर रहा था
बिल्लियों के बीच रोटी बाँटते हुए।
एक आदमी
शेर की तरह डर रहा था
कुएँ में देखकर अपनी परछाईं।
एक आदमी
टिटहरी की तरह टाँगें उठाए
आकाश को गिरने से रोक रहा था।
एक आदमी
चिड़िया की तरह उड़ रहा था
समझते हुए कि आकाश उसके पंजों के नीचे है
एक आदमी...!
एक आदमी
जो देख रहा था दूर से यह सब,
मुस्कराता था इन मूर्खताओं को देखकर
वह ईश्वर नहीं था
हमारे ही बीच का आदमी था
जिसे जनतंत्र ने भगवान बना दिया था ।