Wednesday 8 October 2014

मां-चरित मानस

घर के मौसम की तरह,
बाजार के दिवसों की तरह,
फिल्मी या किताबी किस्से-कहानियों की तरह
या मन में जीवन में समायी हुई,
समस्त स्मृतियों में निराकार,
मां का महाकाव्य,
जैसेकि एक ऐसा नाम - 'मां-चरित मानस'
रोज रोज पढ़ते हुए,
तो लिखे न कोई
मन की मां की तरह
मां-चरित मानस....

जयप्रकाश त्रिपाठी

जीवन असली, 
नकली जीवन, 
नकली बातें, 
जैसे अपनी आंख मूंद कर 
खुद से भाग रहे हों 
ऊबड़-खाबड़, 
कभी इधर की, 
कभी उधर की 
पगडंडी पर 
एक-अकेले, 
जोड़-जुटाकर 
रिश्ते-नाते....
गुनगुनाते हुए
कि अपने लिए
जिये तो क्या जिये...!

तेल देखिए और तेल की धार देखिए

हरदम प्राइस-वार देखिए, ओपेक की हुंकार देखिए,
तरह-तरह की कार देखिए, अद्भुत नाटककार देखिए,
दिल्ली की सरकार देखिए, महंगाई की मार देखिए.....
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।
चोट्टों का व्यापार देखिए, काले-गोरे यार देखिए,
मालदार अय्यार देखिए, डालर की झंकार देखिए,
रुपया दांत-चियार देखिए, चोरों की भरमार देखिए.....
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।
गाड़ी धक्कामार देखिए, मचता हाहाकार देखिए,
दौलत के अंबार देखिए, जालिम जोड़ीदार देखिए,
भीतर-भीतर प्यार देखिए, बाहर से तकरार देखिए.....
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।
पंडों के त्योहार देखिए, पब्लिक अपरंपार देखिए,
मुफलिस की दरकार देखिए, लोकतंत्र लाचार देखिए,
कानूनी हथियार देखिए, संविधान बेकार देखिए.....
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।
गद्दी पर गद्दार देखिए, वोटर पर उपकार देखिए,
सबके सिर तलवार देखिए, बिना नाव पतवार देखिए,
फांके से बीमार देखिए, फांसी पर दो-चार देखिए, .....
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।
संकट के आसार देखिए, लोग फंसे मझधार देखिए,
उजड़े घर-परिवार देखिए, घीसू-माधव भार देखिए,
धनिया की चिग्घार देखिए, गोबर की अंकवार देखिए.....
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।
सिंहासन पर स्यार देखिए, भरा-पुरा संसार देखिए,
खूब मचाये रार देखिए, फिर जूतम-पैजार देखिए,
लुच्चों की ललकार देखिए, खादी में अवतार देखिए .....
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।
विश्वबैंक बटमार देखिए, सूदखोर दुमदार देखिए,
जुड़े तार-बे-तार देखिए, दोनो हाथ उधार देखिए,
अमरीकी दुत्कार देखिए, सूदखोर की लार देखिए,
कर्जे से गुलजार देखिए, होते बंटाढार देखिए.....
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।
अय्याशी उस पार देखिए, फिल्मी पॉकेटमार देखिए,
पर्दे पर पुचकार देखिए, गंदे गीत-मल्हार देखिए,
एक नहीं सौ बार देखिए, सांस्कृतिक उद्धार देखिए,
खुले नर्क के द्वार देखिए, सेक्सी कारोबार देखिए.....
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।

ईटीवी के सीनियर एडिटर ब्रजेश मिश्रा ने दागे मृणाल पांडे पर सवाल

साहित्यकार-पत्रकार मृणाल पांडे प्रसार भारती की चेयरपर्सन रह चुकी हैं, हिन्दुस्तान की संपादक के रूप में अपनी क्लिष्ट हिंदी के चलते भी उन्होंने काफी नाम कमाया है। इन दिनों ट्विटर और ब्लॉगिंग में काफी मशरूफ रहती हैं। अचानक दशहरे के अगले रोज उन्होंने ट्विटर पर प्रसार भारती और उसकी स्वायत्तता को लेकर बहस छेड़ दी। जाहिर हैं अधिकांश लोग उनका सम्मान करते हैं तो उन्होंने भी उनके सुर में सुर मिलाया। लेकिन यूपी और उत्तराखंड में ईटीवी के इंचार्ज और सीनियर एडिटर ब्रजेश मिश्रा ने उस ट्विटर बहस में शामिल होते हुए मृणाल पांडे पर ही सवाल उठा दिया, ‘आपने तब ये सवाल क्यों नहीं उठाया, तब तो आप चुपचाप प्रसार भारती के चीफ की पोस्ट को इन्जॉय कर रही थीं।‘
दरअसल मृणाल पांडे की मूल पोस्ट ये थी, “जिसका अपनी परिसंपत्तियों पर हक या कामगर चयन बोर्ड नहीं जिसे पैसे पैसे का
हिसाब मंत्रालय को देना पडे वह प्रसारभारती कितना स्वायत्त माना जावे?” और ये बहस भी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के दशहरे भाषण का डीडी पर सीधे प्रसारण के बाद प्रकाश जावडेकर की सफाई से शुरू हुई। उनका कहना था कि प्रसार भारती और दूरदर्शन स्वायत्त है। इसको लेकर मृणाल पांडे ने प्रसार भारती की स्वायत्तता को लेकर ट्विटर पर बहस छेड़ीं। लेकिन उनको उलटे सवालों की शायद उम्मीद नहीं थी।
हालांकि उन्होंने ब्रजेश मिश्रा के सवाल को टाला नहीं, बल्कि उन्होंने जवाब दिया, लिखा कि, “ मैं क्यों रिजाइन करूं? मैंने और बोर्ड ने तो स्वायत्तता के लिए एक ग्राफिक रिपोर्ट तैयार करवाई थी, जिसे अब भी लागू होना है”। इस पर तीखे तेवर वाले ब्रजेश मिश्रा ने फिर ट्वीट किया, “आपने प्रसार भारती के इन मुद्दों को समझने में चार साल लगाए और आपका अचीवमेंट सिर्फ ये रिपोर्ट है?” फिर से एक और सवाल जो सीधे उनके ऊपर ही सवाल उठा रहा था, से चकरा कर रह गई होंगी मृणाल पांडे। सोच-समझकर उन्होंने फिर भी जवाब दिया कि, “पहले ये रिपोर्ट पढ़ो ये जानने के लिए कि इसमें क्या क्या है? अब संसद को इस संस्था में बदलाव लाने के लिए पहल करने की जरूरत है”।
तब जाकर मृणाल पांडे का ब्रजेश मिश्रा से पीछा छूटा, क्योंकि ना तो रिपोर्ट ब्रजेश मिश्रा को मिल सकती थी और ना ही वो इतनी जल्दी पढ़ पाते और बिना रिपोर्ट के उन पर जरूरत से ज्यादा सवाल उठाना भी लाजिमी नहीं था। ऐसे में ब्रजेश मिश्रा ने खामोशी बरती और मृणाल पांडे ने राहत की सांस ली। लेकिन एक दिलचस्प बात जरूर हुई,मृणाल पांडे उसी दिन से ब्रजेश मिश्रा को ट्विटर पर फॉलो करना शुरू कर दिया है। (समाचार4मीडिया से साभार)