Saturday 11 October 2014

सुबोध सृजन में जयप्रकाश त्रिपाठी की कविताएं

बचपन बचाने के नाम पर विदेशी फंड, महिला पत्रकार ने किया कैलाश सत्यार्थी की हकीकत का खुलासा

अमेरिका की मशहूर मैग्जीन फोर्ब्स में काम करनेवाली महिला पत्रकार मेघा बाहरी ने कैलाश सत्यार्थी को शांति का नोबेल पुरस्कार दिए जाने पर सवाल उठा दिए हैं। फोर्ब्स पत्रिका के लिए लिखने वाली मेघा बहरी ने लिखा है कि कैलाश सत्यार्थी नोबेल के लायक नहीं।
मेघा ने सत्यार्थी की संस्था 'बचपन बचाओ आंदोलन' पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने लेख में लिखा है कि 2008 में कैलाश सत्यार्थी के एक सहयोगी ने यूपी के एक गांव में बाल मजदूरी को लेकर जो दावे किए थे वो झूठे निकले। मेघा ने आरोप लगाया है कि 'बचपन बचाओ आंदोलन' ज्यादा से ज्यादा विदेशी फंड हासिल करने लिए बाल मजदूरी के झूठे आंकड़े देती है।
अपने लेख में उन्होंने लिखा-  '2008 में फोर्ब्स के लिए 'पश्चिमी कंपनियों द्वारा भारत में बाल श्रम के उपयोग' पर एक आर्टिकल लिख रही थी और इस सिलसिले में मैं बचपन बचाओ आंदोलन से मिली (सत्यार्थी से नहीं इस संगठन के बड़े आदमी से) जिन्होंने मुझे बताया कि गारमेंट्स के अलावा भी एक सेक्टर हैं जहां धड़ल्ले से बाल श्रम होता है और वहां बच्चों की स्थिति ठीक नहीं है, वो है उत्तर प्रदेश का कार्पेट(कालीन) बेल्ट जहां गांव के हर घर के बच्चे दूसरे देशों को भेजे जाने वाले कालीन को बनाने में लगे हैं. मैंने उनसे इसे दिखाने को कहा।'
इसके बाद, 'हम दिल्ली से निकले और कुछ गांव गए लेकिन सिर्फ बड़े लोगों को ही कालीन बनाते देखा। मेरे मन में सवाल उठने लगे और मैं और ज्यादा सवाल करने लगी। फिर कुछ देर बाद हमारी कार एक घर के बाहर रुकी, उन्होंने मुझे कार में ही रुकने को कहा लेकिन मैं उनके पीछे चल पड़ी। मैंने देखा कि दो बच्चे करघे के बगल मैं बैठे थे। दोनों बच्चों में खास बात यह थी कि वे स्कूल ड्रेस में थे, फिर मैं वहां से खुद ही निकल पड़ी और कई जगह देखा। मुझे कई बच्चे दिखे जो घंटो छोटी सी रकम पर काम करते हैं।' इस पूरे घटना पर लिखते हुए उन्होनें इसके पीछे की मंशा पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने लिखा, 'जितने बच्चे को आप बचाते हुए दिखाते हैं विदेशों से उतना ही बड़ा चंदा आपको मिलता है।' उन्होंने लिखा कि इन सबका ये मतलब नहीं है कि भारत में बाल श्रम नहीं है, ये है, बड़े पैमाने पर है। हालांकि उन्होंने अपने लेख में सीधे तौर पर कैलाश सत्यार्थी के कामों पर सवाल नहीं उठाया है. उन्होंने लिखा कि 'बचपन बचाओ आंदोलन ने भी इस पर काम किए होंगे, अच्छे काम किए होंगे लेकिन उन्हें जिस तरह से हीरो बनाया जा रहा है वैसा नहीं है।'