Monday 13 October 2014

रंग / जयप्रकाश त्रिपाठी

शब्द का रंग एक / खून का रंग एक
पानी का रंग एक / रोटी का रंग एक....
सुबह का रंग एक / शाम का रंग एक
दिन का रंग एक / रोटी का रंग एक....

हंसी के रंग अनेक / खुशी के रंग अनेक
जाति-धर्म रंग-विरंगे / आदमी के रंग अनेक....
चीख और आह-कराह से गूंजते
जंगल के रंग अनेक / जानवरों के रंग अनेक.....

भूख और बन्दूक / ओत्तो रेनी कास्तिलो

तुम्हारे पास बन्दूक है और मैं भूखा हूँ,
तुम्हारे पास बन्दूक है क्योंकि मैं भूखा हूँ,
तुम्हारे पास बन्दूक है इसलिए मैं भूखा हूँ।
तुम एक बन्दूक रख सकते हो,
तुम्हारे पास एक हज़ार गोलियां हो सकती हैं,
और एक हज़ार और हो सकती हैं,
तुम उन सब को मेरे नाचीज शरीर पर आजमा सकते हो,
तुम मुझे एक, दो, तीन, दो हज़ार, सात हज़ार बार मार सकते हो,
लेकिन अंततः मैं हमेशा तुमसे ज्यादा हथियारबंद रहूँगा,
यदि तुम्हारे पास एक बन्दूक है
और मेरे पास केवल भूख....

नरेश सक्सेना

बह रहे पसीने में जो पानी है वह सूख जाएगा
लेकिन उसमें कुछ नमक भी है जो बच रहेगा
टपक रहे ख़ून में जो पानी है वह सूख जाएगा
लेकिन उसमें कुछ लोहा भी है जो बच रहेगा
एक दिन नमक और लोहे की कमी का शिकार
तुम पाओगे ख़ुद को और ढेर सारा ख़रीद भी लाओगे
लेकिन तब पाओगे कि अरे हमें तो अब पानी भी रास नहीं आता
तब याद आएगा वह पानी जो देखते-देखते नमक और लोहे का साथ छोड़ गया था
दुनिया के नमक और लोहे में हमारा भी हिस्सा है
तो फिर दुनिया भर में बहते हुए ख़ून और पसीने में हमारा भी हिस्सा होना चाहिए।