Wednesday 3 December 2014

सोशल जस्टिस बेंच

कारपोरेट मीडिया के अपने कर्मचारियों के साथ मनमाना बर्ताव और सोशल मीडिया पर उनकी गूंज के मामले भी क्या नवगठित 'सोशल जस्टिस बेंच’ के सामने प्रस्तुत नहीं हो सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं-बच्चों के कुपोषण और सुरक्षा, मिड डे मील, शुद्ध पेयजल, देह व्यापार आदि के सामाजिक न्याय के तहत आने वाले सारे मामलों की सुनवाई के लिए ‘सोशल जस्टिस बेंच’ का गठन किया है। बेंच हर शुक्रवार को दिन में दो बजे से 12 दिसंबर से ऐसी लंबित याचिकाओं का भी तेज़ी से निपटारा करेगी।  

अंजनी कुमार

एक सरकार डरती है दूसरी सरकार से,
दूसरी सरकार डरती है अपने आप से,
नेता डरता है मीडिया संस्थान से,
मीडिया डरता है अपनी अवैध खदान से,
न्यायपालिका डरती है आदेश से,
और जज कॉरपोरेट घरानों से, बैंक डरता है तबाही से
और कॉरपोरेट घराने डरते हैं मुनाफे की कमी से,
डर का एक पूरा वृत्त है, तंत्र है......
......
हमारी मेहनत, हमारा रोजगार, हमारा घर
हमारी भूख, हमारा सुख, हमारा बच्चा
मां-बाप का जीवन, पत्नी के अरमान
और अब तो, आलू, गोभी और मटर भी
तुम्हारे कब्जे में है...
लोकतंत्र कहां से शुरू होता है संविधान
बोलो, बोलो, बोलो ....जल्दी बोलो!