Wednesday 25 March 2015

कई देशों में फेसबुक, यूट्यूब और टि्वटर पर पाबंदी

आम जनता में बढ़ती सोशल मीडिया साईट्स की लोकप्रियता से घबराकर कई देशों की सरकार ने सोशल साईट्स को अपने यहां बैन कर दिया है। इनमें अमरीका, चीन और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों से लेकर सूडान, तुर्की और ट्यूनिशिया तक शामिल हैं। आइए डालते हैं इन देशों में बैन की गई साईट्स पर एक नजर...
अमरीका: दुनिया भर में मानवाधिकार तथा अभिव्यक्ति की आजादी का नारा देने वाले अमरीका में भी ऑनलाइन सोशल मीडिया आजाद नहीं है। वहां पर भी HI5, ब्लैक प्लेनेट, बेबो, माईस्पेस, टि्वटर और फेसबुक जैसी साइटें बैन हैं। इनमें हाई5 तथा ब्लैक प्लेनेट को अमरीकी सैन्य सुरक्षा एजेंसी पेंटागन की सिफारिश पर बैन किया गया है जबकि बेबो को स्कूल तथा कॉलेजों में बैन कर दिया गया है। इसी तरह फेसबुक और टि्वटर को भी खुफिया सैन्य जानकारी के लीक होने की आशंका के चलते सैन्य क र्मियों के लिए पूर्ण रूप से बैन कर दिया गया है। इसी क्रम में एक कदम आगे बढ़कर दुनिया की टॉप मोस्ट स्मार्टफोन कंपनी एप्पल ने अपने सभी डिवाइसेज पर माईस्पेस को बैन कर दिया है।
मैक्सिको: अमरीका के ही पड़ौसी देश मैक्सिको में दुनिया के दो सर्वाधिक प्रसिद्ध सोशल मीडिया साईट्स फेसबुक तथा टि्वटर को बैन कर दिया गया है। मैक्सिकों के सरकारी अधिकारियों के अनुसार इन साइट्स का उपयोग अपराधियों द्वारा आपराधिक साजिश रचने, ड्रग्स रैकेट चलाने तथा अंडरवल्र्ड माफिया की गतिविधियां संचालित करने के लिए किया जा रहा है।
ग्वाटेमाला: लैटिन अमरीकी देश ग्वाटेमाला में ब्लॉगिंग साइट वर्डप्रेस को ही बैन कर दिया गया है। हालांकि वहां की सरकार ने इसे बैन करने का कोई भी कारण बताने से इंकार कर दिया।
ब्राजील: ब्राजील की सरकार ने भी वर्ष 2008 में ब्लॉगिंग साइट वर्डप्रेस को बैन कर दिया था। इसके पीछे कारण दिया गया था कि इस साइट पर बनाया गया एक ब्लॉग यूजर्स को भ्रमित कर रहा था जिसके चलते पूरी साइट को ही ब्लैंकेट बैन का सामना करना पड़ा। बैन के बाद वर्डप्रेस ने अपनी टर्म्स एंड कंडीशंस में बदलाव करते हुए नए नियम बना कि इस पर ऎसा कोई भी ब्लॉग नहीं बनाया जा सकता जो यूजर्स को गलत जानकारी देता हो या भ्रमित करता हो।
इसी तरह वर्ष 2006 में वहां यूट्यूब को बैन कर दिया गया था। इसके पीछे ब्राजील के सॉकर स्टार रोनाल्डो की पत्नी तथा मॉडल डेनिएला सिकारेली के सेक्स टेप का यूट्यूब पर अपलोड होना था। इस टेप में डेनियला और उसके भूतपूर्व बॉयफ्रेंड की अंतरंग गतिविधियां थी जिसके चलते सेक्स टेप वायरल हो गई। मॉडल ने इसके लिए एक लाख डॉलर के हर्जाने की तथा साइट को पूरी तरह से ब्लॉक करने की भी मांग की थी। हालांकि बाद में इस बैन को हटा लिया गया।
ब्रिटेन: आपको यह जानकार आश्चर्य होगा लेकिन ब्रिटेन भी सोशल मीडिया साईट्स को बैन करने में पीछे नहीं है। वहां पर फेसबुक पर वर्ष 2009 में तथा टि्वटर पर वर्ष 2010 में बैन लगाया गया था। हालांकि खुशखबरी यही है कि यह पर्सनल कम्प्यूटर्स पर नहीं होकर सरकारी दफ्तरों, स्कूलों तथा सार्वजनिक स्थानों के लिए हैं। सरकार का मानना है कि यह सरकारी पैसे की बर्बादी है।
इटली: इटली के इटेलियन फुटबाल क्लब्स ने अपने खिलाडियों, रेफरियों तथा सभी कर्मचारियों के लिए पब्लिक डिस्कशन ग्रुप को बैन कर दिया है। सभी को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे कहीं भी, किसी भी तरह से, किसी भी मंच पर (चाहे ऑनलाइन हो या सार्वजनिक मंच) पर अपने विचार अभिव्यक्त नहीं करेंगे। फेसबुक वहां पर पूरी तरह से बैन है।
ट्यूनिशिया: यहां पर डेलीमोशन, यूट्यूब तथा फेसबुक को ब्लॉक किया गया था। इसका कारण इन पर पोर्नोग्राफिक कंटेट का होना बताया गया था। बाद में फेसबुक पर से बैन पूरी तरह हटा लिया गया जबकि डेलीमोशन तथा यूट्यूब के कुछ पेजेज को ब्लॉक कर बाकी साइट को आम जनता के लिए ओपन कर दिया गया है।
इथियोपिआ: इस देश में भले ही इंटरनेट की स्पीड दुनिया से दशकों पीछे चल रही हो परन्तु यहां भी साइट्स बैन की जाती है। सबसे अधिक आश्चर्य की बात तो यह है कि यहां पर ब्लॉगस्पॉट जैसी ब्लॉगर साइट को बैन किया गया है जो दुनिया के किसी भी हिस्से में किसी भी कारण से आपत्तिजनक नहीं मानी गई और न ही बैन की गई।
सूडान: गृहयुद्ध से संकटग्रस्त इस छोटे से अफ्रीकी देश में भी यूट्यूब को बैन किया जा चुका है। इसका कारण है कि यूट्यूब पर वहां की सरकार द्वारा चलाए जा रहे दमनकारी गतिविधियों का वीडियो अपलोड करना हालांकि सूडान सरकार ने इसके लिए कभी भी आधिकारिक रूप से कोई घोषणा नहीं की।
सऊदी अरब: खाड़ी देश सऊदी अरब में स्कवीडो, लाइव जनरल, फ्लिकर तथा डिग पर बैन लगाया गया है। इनमें लाइव जनरल पर पूर्णतया प्रतिबंध है जबकि शेष साइटों के कथित आपत्तिजनक वाले हिस्सों को ब्लॉक कर दिया गया है। खासतौर पर डिग पर सेलिब्रिटी तथा सेलिब्रिटी रिलेटेड सेक्शन को पूरी तरह से कट ऑफ कर दिया गया है।
तुर्की: गृहयुद्ध की विभिषिका झेल रहे तुर्की में सरकार विरोधी कंटेट होने के कारण यूट्यूब, गूगल साइट्स, लास्ट डॉट एफएम तथा माइस्पेस को पूर्णतया ब्लॉक किया गया है। जबकि ब्लॉगस्पॉट और वर्डप्रेस को भी कुछ दिनों के लिए ब्लॉक किया गया था।
ईरान: शिया मुस्लिम बहुल देश ईरान में बाडू, विकिपीडिया, फ्लिकर, यूट्यूब तथा फेसबुक पर पूरी तरह से बैन है। ईरानी सरकार के अनुसार इन सभी साइट्स से देश में पाश्चात्य संस्कृति को बढ़ावा मिलता है और पोर्नोग्राफिक कंटेट तक आम जनता की पहुंच होती है जो शरीयत के हिसाब से सही नहीं है।
पाकिस्तान: यहां भी फेसबुक पर बैन लगाया गया था जिसे लाहौर की एक अदालत के फैसले के चलते उठा लिया गया। पाकिस्तान सरकार के मुताबिक फेसबुक पर मोहम्मद पैगंबर का अपमान किया जा रहा था जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसी लिए अभी भी ऎसे पेज ब्लॉक है।
चीन: कम्यूनिस्ट देश चीन में इंटरनेट बैन की स्थिति सबसे बुरी है। वहां पर टेक्नोराटी, प्लूर्क, हॉटमेल, फ्लिकर, यूट्यूब, विकिपीडिया (अंग्रेजी वर्जन के सलेक्टेड सेक्शंस के अलावा सभी), टि्वटर तथा फेसबुक ब्लॉक है। इन सभी को थियानमैन चौक घटना की 20वीं जंयती पर ब्लॉक किया गया था जो आज तक बैन ही है।
वियतनाम: वियतनाम मिनिस्ट्री ऑफ पब्लिक सिक्योरिटी द्वारा सरकार के खिलाफ फैल रही विद्रोह को दबाने के लिए फेसबुक सहित दर्जनों अन्य साइट्स को बैन कर दिया गया था। बैन से नाराज यूजर्स ने प्रोक्सी साइट्स के जरिए फेसबुक को ओपन करने की कोशिश की।
थाईलैंड: अन्य देशों से अलग थाईलैंड ने सिर्फ वीडियो शेयरिंग साईट्स को ही बैन किया है। इनमें मेटाकैफे, वीओ तथा यूट्यूब मुख्य है। बैन के कारणों में सरकार विरोधी भावनाएं फैलाने तथा आपत्तिजनक कंटेट पोस्ट किया जाना बताया गया था। बाद में थाईलैंड सरकार ने यूट्यूब के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत यूट्यूब ने थाई सरकार के निर्देशानुसार सभी आपत्तिजनक वीडियो अपनी साइट से हटा दिए तथा सरकार ने भी यूट्यूूब से प्रतिबंध हटा दिया।
ऑस्ट्रेलिया: यहां पर स्कूलों तथा कॉलेजों में छात्र-छात्राओं को साइबर बुलिंग से बचाने के लिए यूट्यूब को बैन कर दिया गया है। यह बैन मार्च 2007 में एक 17 वर्षीय छात्रा को बुरी तरह पीटते हुए एक वीडियो के यूट्यूब पर अपलोड करने के बाद लगाया गया था।
(पत्रिका से साभार)

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