Sunday 29 March 2015

मीडिया में खबरों के पीछे की खबरें दहला रही हैं

इन दिनों में पत्रकारों के मुश्किल हालात की कुछ ऐसी सूचनाएं पढ़ने को मिल रही हैं.......
 - अपने मीडिया संस्थान से लगातार कई-कई महीने वेतन नहीं मिलने पर एक पत्रकार ने दो दिन फांका करने के बाद अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए भूखे रहकर वेटर का काम किया। अपने वरिष्ठ मीडिया कर्मी के पूछने पर उसकी आंखें छलछला गयीं।
- जमशेदपुर में एक पत्रकार ने संपादक को ई-मेल भेजा कि पिछले कई माह से वेतन नहीं दिया जा रहा है, जिस कारण मैं कर्ज में डूब रहा हूं। बेटा-बेटी का एडमिशन कराना है। और भी बहुत सारे खर्चे हैं। ऐसे में वेतन का भुगतान नहीं हुआ तो मैं आत्महत्या कर लूंगा।
- सहारा 'समय' न्यूज चैनल (उत्तरप्रदेश-उत्तरांचल) में असिस्टेंट प्रोड्यूसर रहे अमित पांडेय बिस्कुट खा कर चैनल के दफ्तर आ-जा रहे थे। इससे वह कमजोर और लगातार बीमार चल रहे थे। आखिरकार मल्टी आर्गन फेल हो जाने से उन्होंने दम तोड़ दिया। जब उनकी जान चली गई, उसके बाद सहारा ने उनकी तीन महीने की बकाया सैलरी परिजनों को जारी की। वह गोरखपुर के रहने वाले थे।
- लखनऊ में पिछले दिनो कपूरथला चौराहा स्थित सहारा भवन की नौवीं मंजिल से कूदकर सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी के डिप्टी मैनेजर प्रदीप मंडल ने आत्महत्या कर ली। वह पत्नी शोभा और बेटी श्वेता के साथ रहते थे। छह माह से लगातार सैलरी न मिलने से वह कर्ज से लद चुके थे।

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