Tuesday 31 March 2015

भारत रत्न रजत शर्मा यानी किस पर शर्म करें / कौस्तुभ उपाध्याय

पद्म और भारत रत्न पुरस्कार प्रदान किए जाने के लिए राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में आयोजित पारंपरिक समारोह में कल टीवी एंकर और पत्रकार रजत शर्मा को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। रजत को यह पुरस्कार शिक्षा और साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया। यह जानकर मन में जिज्ञासा हुई कि रजत बाबू के कभी किसी शैक्षणिक गतिविधि में संलग्न होने के बारे में तो सुना नहीं और न ही उनकी किसी किताब, कविता, कहानी या अन्य कोई साहित्यिक रचना के बारे में कभी सुना, ...तो फिर शिक्षा और साहित्य में योगदान के लिए इतना बड़ा पुरस्कार कैसे ?
मन में सहज ही सवाल उठा और यह उत्कंठा तत्काल मुझे ले गई सर्वज्ञानी गूगल बाबा की शरण में। तरह-तरह के कई की वर्ड मार कर काफी देर तक खंगाल डाला दुनिया में सबसे ज्यादा दक्ष माने जाने वाले इस सर्च इंजन पर, गूगल बाबा भी गुगली खा गए रजत बाबू के मामले में। शिक्षा या साहित्य में उनका कोई योगदान नहीं दिखा पाए मुझे। अतबत्ता उनकी बायोग्राफी, बैकग्राउंड पर कई तरह के मैटर जरूर दिखे। 
‘महानुभाव’ की जीवन गाथा जानने के ‌लिए रिजल्ट में दिख रहे विकीपीडिया के पेज पर झट से जा पहुंचा। इसमें उनके व्यक्तिगत जीवन, पत्नी ऋतु धवन के उल्लेख के साथ कंट्रोवर्सीज यानी कि शर्मा जी से जुड़े विवादों का भी एक शीर्षक दिखा जिसके तहत दी गई जानकारी के मुताबिक उनका नाम इंडिया टीवी की रिपोर्टर रही तनु शर्मा की खुदकुशी के मामले में भी आया था। लिखा था कि इससे मीडिया के पावर के मिसयूज को लेकर उस वक्त विवाद खड़ा हुआ था। रजत शर्मा द्वारा तनु को जून 2014 में इस संबंध में लीगल नोटिस भेजे जाने का जिक्र भी था। अन्य विवादों में भड़ास4मीडिया साइट चलाने वाले यशवंत सिंह को भी लीगल नोटिस भेजने का जिक्र था। 
इसके अलावा गूगल पर विवादों की पड़ताल करने पर रजत शर्मा द्वारा इंडिया टीवी पर नरेंद्र मोदी के ‌‘फिक्‍स्ड’ और ‘ओवर स्क्रिप्टेड’ इंटरव्यू चलाने के चलते कमर वाहिद नकवी द्वारा इंडिया टीवी से इस्तीफा दिए जाने की खबर भी दिखी। हालिया बात होने के कारण याद आ गया चुनाव की बेला में शर्मा जी के चैनल पर बार-बार चलाया गया मोदी का यह ‘करामाती’ इंटरव्यू। खूब ‘माहौल’ बना था इससे उस वक्त। वैसे मेरे ‘खुराफाती’ दिमाग ने पता नहीं क्यों उस वक्त ही यह सोचने की धृष्टता कर ली थी कि मोदी सरकार में आए तो रजत बाबू की तो बल्ले-बल्ले। कोई बड़ा पद और पुरस्कार जरूर मिलेगी। 
अब इसे सेटिंग-गेटिंग समझ लीजिए या विधि का विधान। हुआ भी ठीक ऐसा ही। रजत बाबू को सरकार की ओर से ‌गठित किसी कमेटी या ग्रुप (नाम याद नहीं आ रहा) में शामिल करने की खबर आई थी पिछले दिनों और तकरीबन उसके साथ ही उन्हें पद्म भूषण दिए जाने की घोषणा हुई। वहीं सरकार ने ग्लोबल स्तर पर पहचान बनाने वाले भारत के पहले कॉमिक कैरेक्टर को जन्म देने वाले कार्टूनिस्ट प्राण को मरणोपरांत महज पद्म श्री देकर निपटा दिया। 
इन बातों और विवादों में कौन सच्चा, कौन झूठा है इस बहस में मैं नहीं पड़ना चाहता। मेरी तो बस इतनी सी अर्ज है कि मोदी और जेटली को शर्मा की से यारी निभानी थी तो जरा सलीके से निभा लेते। इस साल पद्म श्री दे देते और बाद में पद्म भूषण, पद्म विभूषण और फिर भारत रत्न ही दे देते। अभी तो चार साल से भी ज्यादा वक्त पड़ा है। पर यारों ने शायद सोचा होगा कि भई ‘कल हो न हो’। अरे भइया तो फिर डायरेक्ट भारत रत्न ही दे डालते ना शर्मा जी को। कितनी मेहनत करते हैं बेचारे प्लांटेड इंटरव्यू को नेचुरल और स्पांटिन्युअस दिखाने के लिए। इस कला में भला है कोई जोड़ उनका?

2 comments:

  1. अपने आकाओं की चापलूसी करने में माहिर होना भी तो ऊच्च शिक्षा ही है ...

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  2. मैं रजत शर्मा की दक्षता से अत्यंत प्रभावित हूँ....उन्हें अपना गुरु घोषित करता हूँ....मुझे अपनी शरण में लो प्रभु....शरणं मम..

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