Friday 3 April 2015

पत्रकार आज कोई रिस्क नहीं लेना चाहते, सामाजिक सरोकार सिमटे

माखनलाल चतुर्वेदी राष्टीय पत्रकारिता एवं संचार विवि, भोपाल के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डॉ. पुष्पेंद्र पाल सिंह का कहना है कि अच्छे लेखन में दो बातें कम से कम होनी चाहिए, एक तो ये कि आपके जो विचार हैं, पाठक के मानस में उतर जाएं, दूसरे सामाजिक सरोकार। उन्होंने कहा कि पत्रकार आज कोई रिस्क नहीं लेना चाहता, समाजिक सरोकारों के लिए ये चिंता की बात है।
इसके लिए मीडिया विद्यार्थियों को ज्यादा पढ़ना और ऑब्जर्व करना चाहिए। एक पत्रकार को लक्षित वर्ग को ध्यान में रखते हुए समाचार लिखना चाहिए। अच्छा समाचार वो है, जो पाठक के हित में हो। पत्रकार के लेखन में ये साफ होना चाहिए कि वो किस मुद्दे को प्राथमिकता दे रहा है।

उनका कहना है कि विकासात्मक संचार की दिशा में अधिक सकारात्मक प्रयास होने चाहिए। आजकल अखबारों में सोशल मीडिया का अलग से कॉलम आने लगा है। इससे ये तो साफ होता है कि सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ा है, ऐसे में ट्वीट पत्रकारिता कई मायने में ठीक है, क्योंकि अगर देश का प्रधानमंत्री ट्वीट कर कोई जानकारी देता है, तो ये विधा सामाजिक दृष्टि से सरोकार की पत्रकारिता को बल प्रदान करती है।
उन्होंने कहा कि बदलती जीवन शैली और सामाजिक स्तर पर भी बदलावों से जाहिरा तौर पर मीडिया भी प्रभावित हुआ है। पत्रकारों की जो बेबाकी है, वो कमतर हुई है। पत्रकार आज कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। कई स्तर पर पत्रकारिता मूल्यों के साथ समझौता होने लगे हैं।

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