Friday 3 April 2015

मीडिया गुरुओं के सम्मेलन का दूसरा दिन : बदलते दौर में मीडिया की भूमिका, भाषा, सिनेमा और विज्ञापन पर पढ़े गए शोधपत्र

जयपुर : मीडिया शिक्षकों के महाकुंभ के दूसरे दिन मणिपाल विवि में देश भर से आए मीडिया शिक्षक और रिसर्च स्कोलरों ने शोध पत्रों का वाचन किया। अधिकांश शोध पत्र पारंपरिक और सोशल मीडिया के सामाजिक प्रभाव, पत्रकारिता की भाषा, विज्ञापन, सिनेमा, न्यू मीडिया, वेब पत्रकारिता और संचार माध्यमों से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्रित रहे। तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता देश भर से आये मीडिया शिक्षकों ने की। प्रतिभागियों ने 180 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए और बदलते दौर में मीडिया की भूमिका को रेखांकित किया।
‘समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में मीडिया की भूमिका-चुनौतियां और संभवनाएं’ विषय पर आयोजित तीन दिन के अखिल भारतीय मीडिया सम्मेलन के दूसरे दिन 12 तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रतिभागियों ने मीडिया से जुड़े अहम पहलुओं पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये और श्रोताओं के सवालों के जवाब दिये। मीडिया शिक्षकों के इस अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन राजस्थान विश्वविद्यालय के जन संचार केन्द्र के रजत जयंती समारोह के क्रम में किया जा रहा है। सम्मेलन का आयोजन मणिपाल विश्वविद्यालय, जयपुर, स्वयंसेवी संगठन लोक संवाद तथा सोसायटी ऑफ मीडिया इनीशिएटिव फॉर वेल्यूज, इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।
सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो. संजीव भानावत और संयोजक कल्याणसिंह कोठारी ने बताया कि सम्मेलन के दौरान शुक्रवार को विभिन्न तकनीकी सत्रों में 200 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गये। संयोजक कल्याणसिंह कोठारी ने  मणिपाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संदीप संचेती को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। साथ ही इस अवसर पर मणिपाल विश्वविद्यालय जयपुर के डिपार्टमेंट ऑफ जर्नलिज्म एंड मॉस कम्यूनिकेशन की और से निकाले जा रहे न्यूज लेटर एमयूजे टाईम्स का विमोचन भी एमयूजे के प्रेसिडेंट प्रो. संदीप संचेती, प्रो. कमल दिक्षित, प्रो. संजीव भानावत, प्रो. मृणाल चटर्जी, प्रो. उज्जवल चौधरी, वरिष्ठ पत्रकार कल्याणसिंह कोठारी ने किया। इस मौके पर एमिटी विश्वविद्यालय, मुंबई के डीन प्रो. उज्ज्वल चौधरी ने समस्त प्रतिभागियों की तरफ से आयोजकों को बधाई दी और अगले अखिल भारतीय सम्मेलन की मेजबानी करने का प्रस्ताव भी रखा। इस अवसर पर सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो. संजीव भानावत ने चुनीन्दा शोध पत्रों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने का आश्वासन दिया।
प्रो.भानावत ने बताया कि शनिवार को समापन समारोह के मुख्य वक्ता केन्द्रीय सूचना आयुक्त प्रो. एम. श्रीधर आचार्युलू होंगे। मणिपाल विश्वविद्यालय, जयपुर के कुलपति प्रो. संदीप संचेती, एमिटी विश्वविद्यालय, मुंबई के डीन प्रो. उज्ज्वल चौधरी और यूनिसेफ के पूर्व सलाहकार प्रो. के.बी. कोठारी समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि होंगे, जबकि हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जन संचार विश्वविद्यालय के कुलपति सनी सेबेस्टियन समारोह की अध्यक्षता करेंगे। एबीपी न्यूज के कार्यकारी सम्पादक विजय विद्रोही मुख्य अतिथि के तौर पर समारोह में शामिल होंगे।

पत्रकार आज कोई रिस्क नहीं लेना चाहते, सामाजिक सरोकार सिमटे

माखनलाल चतुर्वेदी राष्टीय पत्रकारिता एवं संचार विवि, भोपाल के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डॉ. पुष्पेंद्र पाल सिंह का कहना है कि अच्छे लेखन में दो बातें कम से कम होनी चाहिए, एक तो ये कि आपके जो विचार हैं, पाठक के मानस में उतर जाएं, दूसरे सामाजिक सरोकार। उन्होंने कहा कि पत्रकार आज कोई रिस्क नहीं लेना चाहता, समाजिक सरोकारों के लिए ये चिंता की बात है।
इसके लिए मीडिया विद्यार्थियों को ज्यादा पढ़ना और ऑब्जर्व करना चाहिए। एक पत्रकार को लक्षित वर्ग को ध्यान में रखते हुए समाचार लिखना चाहिए। अच्छा समाचार वो है, जो पाठक के हित में हो। पत्रकार के लेखन में ये साफ होना चाहिए कि वो किस मुद्दे को प्राथमिकता दे रहा है।

उनका कहना है कि विकासात्मक संचार की दिशा में अधिक सकारात्मक प्रयास होने चाहिए। आजकल अखबारों में सोशल मीडिया का अलग से कॉलम आने लगा है। इससे ये तो साफ होता है कि सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ा है, ऐसे में ट्वीट पत्रकारिता कई मायने में ठीक है, क्योंकि अगर देश का प्रधानमंत्री ट्वीट कर कोई जानकारी देता है, तो ये विधा सामाजिक दृष्टि से सरोकार की पत्रकारिता को बल प्रदान करती है।
उन्होंने कहा कि बदलती जीवन शैली और सामाजिक स्तर पर भी बदलावों से जाहिरा तौर पर मीडिया भी प्रभावित हुआ है। पत्रकारों की जो बेबाकी है, वो कमतर हुई है। पत्रकार आज कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। कई स्तर पर पत्रकारिता मूल्यों के साथ समझौता होने लगे हैं।

सम्मेलन के दूसरे दिन जयपुर में मीडिया गुरुओ और छात्रों ने पढ़े रिसर्च पेपर

राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर में देशभर से जुटे मीडिया शिक्षकों के सम्मेलन के दूसरे दिन का ज्यादातर समय शोधपत्र-वाचन के नाम रहा। विभिन्न प्रदेशों से यहां पहुंच मीडिया मीडिया के शिक्षकों और रिसर्च स्कॉलर ने दो सौ से अधिक परचे पढ़े। अधिकांश शोध पत्र पारंपरिक और सोशल मीडिया के सामाजिक प्रभाव से संबधित रहे।

सम्मेलन के दूसरे दिन जयपुर में मीडिया गुरुओ और छात्रों ने पढ़े रिसर्च पेपर

राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर में देशभर से जुटे मीडिया शिक्षकों के सम्मेलन के दूसरे दिन का ज्यादातर समय शोधपत्र-वाचन के नाम रहा। विभिन्न प्रदेशों से यहां पहुंच मीडिया मीडिया के शिक्षकों और रिसर्च स्कॉलर ने दो सौ से अधिक परचे पढ़े। अधिकांश शोध पत्र पारंपरिक और सोशल मीडिया के सामाजिक प्रभाव से संबधित रहे।