Wednesday 16 December 2015

जिसकी उंगली है रिमोट पर वो है सबसे ग्रेट

""...सुनो बाबू जी, ये जो दस-दस लाख के गेट वाली कोठियां देख रहे हो न, इन सबकी अपनी-अपनी कथा-कहानी है। पढ़े-लिखे लगते हो। फुर्सत लगे तो कभी-कभार उन कहानियों की दो-चार लाइन तुम भी पढ़ लिया करो न, तबीयत हरी हो जाएगी।... आंख चियार कर जीवन भर भक्कू ही बने रहोगे क्या?...और हां, फिर भी दिमाग काम न करे तो कैलाश गौतम की ये दो-चार लाइनें ही पढ़ डालो, शायद कुछ पल्ले पड़ जाए.......""
सौ में दस की भरी तिजोरी नब्बे खाली पेट, झुग्गीवाला देख रहा है साठ लाख का गेट ।
बहुत बुरा है आज देश में लोकतंत्र का हाल
कुत्ते खींच रहे हैं देखो कामधेनु की खाल, हत्या, रेप, डकैती, दंगा हर धंधे का रेट ।
बिकती है नौकरी यहाँ पर बिकता है सम्मान,
आँख मूँद कर उसी घाट पर भाग रहे यजमान, जाली वीज़ा पासपोर्ट है जाली सर्टिफ़िकेट ।
लोग देश में खेल रहे हैं कैसे कैसे खेल, एक हाथ में खुला लाइटर
एक हाथ में तेल चाहें तो मिनटों में कर दें सब कुछ मटियामेट ।
अंधी है सरकार-व्यवस्था, अंधा है कानून
कुर्सीवाला देश बेचता रिक्शेवाला ख़ून, जिसकी उंगली है रिमोट पर वो है सबसे ग्रेट ।